Monthly Archives: જૂન, 2012
“प्रत्येक व्यक्ति बाइ – सेक्सुअल है!: प्रतीक्षारत मन याने स्त्रैण मन” ~ओशो
“प्रत्येक व्यक्ति बाइ – सेक्सुअल है!: प्रतीक्षारत मन याने स्त्रैण मन” ~ओशो ” स्त्री से अर्थ है स्त्रैण। औरजब मैं कहता हूँ, स्त्री से अर्थ है स्त्रैण, तो उसका अर्थ यह है कि पुरुषों में भी ऐसे व्यक्ति हैं, जो स्त्री जैसे हैं, स्त्रैणहैं; स्त्रियों में भी ऐसे व्यक्ति हैं, जो पुरुष जैसे हैं, पौरुषेय …
“प्रत्येक व्यक्ति बाइ – सेक्सुअल है!: प्रतीक्षारत मन याने स्त्रैण मन” ~ओशो
“प्रत्येक व्यक्ति बाइ – सेक्सुअल है!: प्रतीक्षारत मन याने स्त्रैण मन” ~ओशो ” स्त्री से अर्थ है स्त्रैण। औरजब मैं कहता हूँ, स्त्री से अर्थ है स्त्रैण, तो उसका अर्थ यह है कि पुरुषों में भी ऐसे व्यक्ति हैं, जो स्त्री जैसे हैं, स्त्रैणहैं; स्त्रियों में भी ऐसे व्यक्ति हैं, जो पुरुष जैसे हैं, पौरुषेय …
‘किन आधारों पर तुम स्वयं को हिन्दू , मुसलमान, ईसाई, यहूदी, जैन, बौद्ध, पारसी कहते हो?
” ‘किन आधारों पर तुम स्वयं को हिन्दू , मुसलमान, ईसाई, यहूदी, जैन, बौद्ध, पारसी कहते हो’, ‘क्या परमात्मा से तुम अपने जन्म के साथ कोई Certificate लेकर आये हो?’ ‘लोगो ने यहाँ तुमसे कह दियाऔर बस तुमने मान लिया?’ ‘धर्म को क्या तुमने इतना सस्ता समझ रखा है कि जन्म के साथ कोई तुम्हे …
” भावनाओं से मित्रता ” ~ ओशो : –
” भावनाओं से मित्रता ” ~ ओशो : – Q.:- ” ओशो, कहीं न कहीं यह भय है जो मुझे बंद कर देता है, और कठोर और हताश, क्रोधित और आशाहीन बना देता है। यह इतना सूक्ष्म है कि मैं वस्तुत: उसे छू नहीं सकता। मैं अधिक स्पष्टता से कैसे देख सकता हूं? ” ‘ओशो’:- …
“सेक्स की अवहेलना मत करो ! सेक्स से मुक्ति : सत्यम् शिवम् सुंदरम्”
“सेक्स की अवहेलना मत करो ! सेक्स से मुक्ति : सत्यम् शिवम् सुंदरम्” ” सेक्स थकान लाता है। इसीलिए मैं तुमसे कहता हूँ कि इसकी अवहेलना मत करो, जब तक तुम इसके पागलपन को नहीं जान लेते, तुम इससे छुटकारा नहीं पा सकते। जब तक तुम इसकी व्यर्थता को नहीं पहचान लेते तब तक बदलाव …
” परंपरा और धर्म ” ~ ओशो : –
” परंपरा और धर्म ” ~ ओशो : – ” धर्म विद्रोह है। धर्म का और कोई रूप होता ही नहीं। धम्र कभी परंपरा बनता ही नहीं, जो बन जाता है, परंपरा वह धर्म हैही नहीं। परंपरा तो ऐसे है जैसे आदमी गुजरगया, उसके जूते के चिन्ह रेत पर पड़ेरह गए। वे चिन्ह जीवित आदमी …
तुम गुलाम हो।
” तुम काम,वासना, और महत्वाकांक्षा से ग्रस्त हो। और तुम इनके मालिक नहीं हो, तुम गुलाम हो। इसलिये मैं कहता हूं कि स्वतंत्रता केवल बोध से आती है। जब तक व्यक्ति मूर्च्छा को जागरूकता में रूपांतरित नहीं करता, कोई स्वतंत्रता नहीं है। और इसमें बहुत कम लोग सफल हुए हैं। कोई जीसस, कोई लाओत्सु,कोई ज़राथुस्त्रा, …
परमात्मा है या नहि?
” ‘मैं नहीं देखता कि कहीं कोई परमात्मा है जिसने दुनिया को बनाया’| ‘मैं निश्चित ही अस्तित्व में भगवत्ता का गुण महसूस करता हूं’, ‘लेकिन यह गुण है’, ‘न कि व्यक्ति’| ‘यह प्रेम जैसा अधिक है’, ‘मौन जैसा’, ‘आनंद जैसा’ — ‘व्यक्ति जैसा कम’| ‘तुम कभी किसी परमात्मा से नहीं मिल पाओगे’ ‘उसे ‘हलो’नहीं कह …
ईश्वर को देखनेवाली आँख
कल रात्रि नदि के तट पर था। नदी की धार चांदी के फीते की भांति दूर तक चमकती चली गयी थी। एक मछुआ डोंगी को खेता हुआ आया था और देर से बोलते हुए जल-पक्षी उसकी आवाज से चुप हो गये थे।एक मित्र साथ थे। उन्होंने एक भजन गाया था और फिर बात ईश्वर पर …
सत्य के मार्ग पर
” सत्य के मार्ग पर ” ~ ओशो : – ” ‘ध्यान रहे’ — ‘असत्य के मार्ग पर’, ‘सफलता मिल जाए तो व्यर्थ है’, ‘असफलता भी मिले तो सार्थक है’| ‘सवाल मंजिल का नहीं’, ‘सवाल कहीं पहुंचने का नहीं’, ‘कुछ पाने का नही’, ‘दिशा का नहीं’, ‘आयाम का नहीं’| ‘कंकड़-पत्थर इकट्ठे भी कर लिए किसी …