‘किन आधारों पर तुम स्वयं को हिन्दू , मुसलमान, ईसाई, यहूदी, जैन, बौद्ध, पारसी कहते हो?
” ‘किन आधारों पर तुम स्वयं को हिन्दू , मुसलमान, ईसाई, यहूदी, जैन, बौद्ध, पारसी कहते हो’, ‘क्या परमात्मा से तुम अपने जन्म के साथ कोई Certificate लेकर आये हो?’ ‘लोगो ने यहाँ तुमसे कह दियाऔर बस तुमने मान लिया?’ ‘धर्म को क्या तुमने इतना सस्ता समझ रखा है कि जन्म के साथ कोई तुम्हे थमा दे?’ ‘धर्म तो जब तुम अपना पूरा जीवन दांव पर लगाने में समर्थ हो पाओ’ ‘तो ही उपलब्ध हो सकता है’ ‘अन्यथा नहीं’! और ‘धर्मोके नाम पर धरती पर जितनी हत्याएंहुई है’ ‘उतनी किसी और नाम पर नहीं’, ‘धर्म के नाम पर जितने लोग जलाये गए हैं’ – ‘जीवित लोग’ ‘उतने किसी और नाम पर नहीं’, और ‘धर्म केनाम पर जितने बलात्कार’, ‘जितनी हिंसा’ ‘मनुष्य ने की है’ ‘उतनी किसी और नाम पर नहीं’! ‘आज पृथ्वी पर 300 से अधिक धर्म है’ – ‘ये सभी संप्रदाय है’ ‘धर्म नहीं’! ‘धर्म तो केवल एक ही है’ ‘जो समस्तअस्तित्व को धारण किये हुए है’ – ‘जैसा कि धर्म शब्द का अर्थ है’| ”
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