Author Archive: dhruv1986
” जगत ऊर्जा का विस्तार है ” ~ ओशो : –
” जगत ऊर्जा का विस्तार है ” ~ ओशो : – ” अठारहवीं सदी में वैज्ञानिकों की घोषणा थी कि परमात्मा मर गया है, आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं है, पदार्थ ही सब कुछ है। लेकिन विगत तीस वर्षों में ठीक उलटी स्थिति हो गई है। विज्ञान को कहना पड़ा कि पदार्थ है ही नहीं, …
” ज़ेन हाइकु
” ज़ेन हाइकु : मरणासन्न झींगुर — कैसा जीवन्त, उसका गान ” ~ ओशो :- ” प्रत्येक सतर्क और जागरुक व्यक्ति की ऐसी ही अवस्था होनी चाहिए। मृत्यु के समय भी, गाता हुआ – और तब कोई मृत्यु नहीं है। ” ஜ۩۞۩ஜ ॐॐॐ ओशो ॐॐॐ ஜ۩۞۩ஜ ~ ह्यकुजो:दि एवरेस्ट औफ़ ज़ेन
” व्यस्त लोगों के लिये ध्यान : टकटकी लगाकर देखना ” ~ ओशो : –
” व्यस्त लोगों के लिये ध्यान : टकटकी लगाकर देखना ” ~ ओशो : – # पहला चरण : दूसरे का अवलोकन करो : – “बैठ जायें और एक दूसरे की आखों में देखें (बेहतर होगा पलकें कम से कम झपकें, एक कोमल टकटकी) बिनासोचे गहरे, और गहरे देखें। यदि आप सोचते नहीं, यदि आप …
” स्त्री और पुरुष को समान हक होना चाहिए। ” ~ ओशो : –
” स्त्री और पुरुष को समान हक होना चाहिए। ” ~ ओशो : – ” तुम्हारे लिए चरित्र का एक ही अर्थ होता है बस कि स्त्री पुरुषसे बँधी रहे, चाहे पुरुष कैसा ही गलत हो। हमारे शास्त्रों में इसकी बड़ी प्रशंसा की गई है कि अगर कोई पत्नी अपने पति को बूढ़े-, मरते, सड़ते, …
“आत्मीयता: हम सभी इसे चाहते हैं,और हम सभी इससे बचते हैं। क्यों?” ~ ओशो : –
“आत्मीयता: हम सभी इसे चाहते हैं,और हम सभी इससे बचते हैं। क्यों?” ~ ओशो : – ” सभी आत्मीयता से डरते हैं। यह बात और है कि इसके बारे में तुम सचेत हो या नहीं। आत्मीयता का मतलब होता है कि किसी अजनबी के सामने स्वयं को पूरी तरह से उघाड़ना। हम सभ ी अजनबी …
” शरीर और मन दो अलग चीजें नहीं हैं। ” ~ ओशो : –
” शरीर और मन दो अलग चीजें नहीं हैं। ” ~ ओशो : – ” योग का कहना है कि हमारे भीतर शरीर और मन, ऐसी दो चीजें नहीं हैं। हमारे भीतर चेतन और अचेतन, ऐसी दो चीजें नहीं हैं। हमारे भीतर एक ही अस्तित्व है, जिसके येदो छोर हैं। और इसलिए किसी भी छोर …
” निष्क्रिय ध्यान विधी : श्वास को देखना ” ~ ओशो : –
” निष्क्रिय ध्यान विधी : श्वास को देखना ” ~ ओशो : – ” श्वास को देखना एक ऐसी विधि है जिसका प्रयोग कहीं भी, किसी भी समय किया जा सकता है, तब भी जब आप के पास केवल कुछ मिनटों का समय हो। आती जाती श्वास के साथ आपको केवल छाती या पेट के …
” मेरा क्या काम है ? ” ~ ओशो : –
” मेरा क्या काम है ? ” ~ ओशो : – ” तुम पूछते हो, मेरा क्या काम है। मेरा काम एक ही: तुम्हारा नशा तोड़ना है। और तुम्हारा यह नशा टूट जाए तो तुम्हें उस नशे की तरफ ले चलना है, जो पीओ एक बार तो फिर टूटता ही नहीं। अभी तुम बहुत तरह …
” मेरा स्वर्णिम बचपन : ‘झूठा ब्रह्मज्ञान’ ” : –
” मेरा स्वर्णिम बचपन : ‘झूठा ब्रह्मज्ञान’ ” : – ” झूठा ब्रह्मज्ञान- मैं जब छोटाथा तो मेरे गांव में एक बहुत बड़े विद्धवान पंडित रहते थे। वहमेरे पिता के मित्र थे। मैं अपनेपिता के उलटे सीधे प्रश्न पूछ कर सर खाता रहता था। पर मेरे पिता ईमानदार आदमी थे। जब वह किसी प्रश्न का …
” जाग्रत करें स्वयं का विवेक ~ ओशो “
” जाग्रत करें स्वयं का विवेक ~ ओशो ” ” एक दिन मैं सुबह-सुबह उठकर बैठा ही था कि कुछ लोग आ गए। उन्होंने मुझसे कहा- ‘आपके संबंधमें कुछ व्यक्ति आलोचना करते हैं। कोई कहता है कि आप नास्तिक हैं। कोई कहता है अधार्मिक। आप इन सब व्यर्थ बातों का उत्तर क्यों नहीं देते?’ मैंने …